First Aid - गंभीर रक्तस्राव और शॉक (Heavy Bleeding)

प्रश्न: अगर किसी को अधिक रक्तस्राव हो रहा हो तो क्या करें?

गंभीर रक्तस्राव जानलेवा हो सकता है, इसलिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। कदम इस प्रकार हैं:

  1. दबाव डालें:

    • किसी साफ कपड़े, पट्टी या हाथ से सीधे घाव पर दबाव डालें।

    • दबाव लगाने से रक्त का थक्का बनने में मदद मिलती है और रक्तस्राव कम होता है।

    • यदि कपड़ा रक्त से भीग जाए, तो पहले वाले को हटाएं नहीं, बल्कि उसके ऊपर नया कपड़ा रखें।

  2. मदद बुलाएँ:

    • तुरंत स्थानीय आपातकालीन नंबर (112/108 आदि) पर कॉल करें।

    • अगर कोई पास में हो तो उसे अस्पताल पहुँचाने में मदद करने के लिए कहें।

First Aid - Burns

Burns can range from minor to life-threatening. Knowing the right steps can prevent further injury, reduce pain, and lower the risk of infection.

Q&A on Burn Care

Q: Can I use ice to cool a burn?
A: No. Ice can further damage the skin and worsen the injury. Use cool running water for at least 10–30 minutes. This helps stop the burning process and reduces pain and swelling.

Q: Should I cover a burn with a plaster or bandage to prevent infection?
A: Avoid adhesive bandages—they can stick to the burn and tear delicate skin. Instead, use cling film or a clean plastic bag to loosely cover the area. This keeps dirt and germs away without causing additional damage.

First Aid - Snake Bite

First Aid Guide - Snake Bite
Snake bite is prevalent in our community for generations, and we are not able to prevent it. Education of the common man is required from snake bite, as well as measures to be taken after the bite. Snake bite may occur at any time during lifetime. WHO (2004) provided recommendations to reduce death due to snake bite as per international norms. A primary recommendation, based on evidence based procedures, was to establish a single protocol for both first-aid and treatment, and is relevant in Indian context as well.
Remember, traditional therapy have no proven benefit in the treatment of snake bite. Do not waste time and send the patient to hospital at the earliest.

First Aid - नाक से खून बहना (Nose Bleeding)

रिचय (Introduction)

नाक से खून बहना, जिसे चिकित्सकीय भाषा में एपिस्टेक्सिस (Epistaxis) कहा जाता है, एक सामान्य परंतु कई बार गंभीर समस्या हो सकती है। यह स्थिति किसी भी उम्र में हो सकती है, विशेष रूप से बच्चों और वृद्ध लोगों में अधिक देखी जाती है। अधिकतर मामलों में यह हानिकारक नहीं होती और सही प्राथमिक उपचार (First Aid) से नियंत्रित की जा सकती है। लेकिन बार-बार होने वाली या बहुत अधिक खून बहने की स्थिति गंभीर रोगों का संकेत हो सकती है। इसलिए इसका सही ज्ञान और प्राथमिक चिकित्सा का अभ्यास आवश्यक है।

नाक से खून बहने के लक्षण (Symptoms of Nose Bleeding)

नाक से खून बहने के प्रमुख लक्षण आसानी से पहचाने जा सकते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • एक या दोनों नथुनों से खून बहना।

  • कभी-कभी खून गले में जाकर मुंह से निकल सकता है।

  • गंभीर मामलों में खून कानों से भी आ सकता है।

  • लगातार या तेज़ खून बहने पर चक्कर आना, कमजोरी और बेहोशी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

  • लंबे समय तक रक्तस्राव होने पर एनीमिया (रक्ताल्पता) जैसी समस्या भी हो सकती है।

First Aid - दिल का दौरा पड़ने पर क्या करें (Do's During Heart Attack)

प्रथम उपचार का परिचय

प्रथम उपचार (First Aid) वह तात्कालिक और अस्थायी देखभाल है, जो किसी बीमार या घायल व्यक्ति को चिकित्सकीय सहायता मिलने से पहले दी जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य जीवन बचाना, स्थिति को बिगड़ने से रोकना और स्वस्थ होने की संभावना बढ़ाना होता है। कई बार अचानक दुर्घटना, जलने, ज़हर खाने या दिल का दौरा (Heart Attack) पड़ने जैसी गंभीर परिस्थितियों में प्रथम उपचार जीवन और मृत्यु के बीच का फ़ासला तय करता है।

दिल का दौरा तब पड़ता है जब हृदय की मांसपेशी तक रक्त का प्रवाह रुक जाता है। यह प्रायः हृदय की धमनियों (Coronary Arteries) में थक्के (Clot) बनने की वजह से होता है। जब हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, तो उसका हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है। ऐसे समय पर यदि सही प्रथम उपचार तुरंत दिया जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है और आगे होने वाली जटिलताओं को रोका जा सकता है।

First Aid - कुछ विशेष जानकारी

  • परिचय

    प्रथम उपचार (First Aid) वह प्रारंभिक सहायता है, जो किसी भी दुर्घटना, चोट या अचानक हुई स्वास्थ्य समस्या के समय तुरंत दी जाती है। इसका उद्देश्य रोगी की स्थिति को स्थिर रखना, दर्द को कम करना और उचित चिकित्सीय सहायता मिलने तक जीवन को सुरक्षित बनाए रखना होता है। सही समय पर दिया गया First Aid जीवन बचा सकता है, जटिलताओं को रोक सकता है और उपचार की प्रक्रिया को सरल बना सकता है।

    First Aid का महत्व

    • दुर्घटना या चोट अचानक हो सकती है – सड़क पर, घर में, कार्यस्थल पर या स्कूल में।

    • प्राथमिक उपचार का ज्ञान रखने वाला व्यक्ति तुरंत मदद कर सकता है।

    • यदि समय पर सही कदम उठाए जाएं तो कई गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है, जैसे – अधिक रक्तस्राव, सांस रुकना, जलने से संक्रमण होना, आदि।

    • यह केवल डॉक्टरों या नर्सिंग स्टाफ तक सीमित नहीं है; सामान्य नागरिकों को भी इसकी जानकारी होनी चाहिए।

First Aid - रोगियों को ले जाने की विधियाँ

प्राथमिक उपचार और रोगियों को ले जाने की विधियाँ

किसी भी दुर्घटना या आकस्मिक स्थिति में सबसे पहला कदम प्राथमिक उपचार (First Aid) होता है। यह वह उपचार है जो रोगी को तुरंत उसके जीवन की रक्षा करने, उसकी स्थिति को स्थिर रखने तथा आगे की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होने तक उसके दर्द व असुविधा को कम करने के लिए दिया जाता है। लेकिन केवल प्राथमिक उपचार देना ही पर्याप्त नहीं होता। इसके बाद सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है रोगी को सुरक्षित और शीघ्र अस्पताल तक पहुँचाना

रोगी को अस्पताल तक पहुँचाने के लिए विभिन्न विधियों का उपयोग किया जाता है। यदि रोगी को अनुचित तरीके से उठाया जाए, तो उसकी चोट और अधिक गंभीर हो सकती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को रोगी को उठाने और ले जाने की सही विधियों का ज्ञान होना चाहिए।

First Aid - फर्स्ट एड बाक्स

मानव जीवन अनमोल है, और किसी भी आकस्मिक दुर्घटना, चोट या आपातकालीन परिस्थिति में तत्काल प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) की उपलब्धता जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत जैसे विशाल और जनसंख्या वाले देश में रेलवे यातायात का दायरा बहुत बड़ा है। प्रतिदिन लाखों लोग रेलवे से यात्रा करते हैं, और इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों के बीच छोटे-मोटे हादसे, अचानक बीमार पड़ना, गिरना, कटना, या किसी गंभीर चोट की संभावना हमेशा बनी रहती है।
इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेल ने यह अनिवार्य किया है कि हर उस स्टेशन पर जहाँ स्टेशन मास्टर पदस्थापित है, वहाँ फर्स्ट एड बॉक्स उपलब्ध हो। यही नहीं, सभी पैसेंजर ट्रेनों के गार्ड के पास, लंबी दूरी की ट्रेनों जैसे राजधानी, शताब्दी आदि की पेंट्री कार में तथा रेलवे के सभी कारखानों में भी फर्स्ट एड बॉक्स रखना आवश्यक है।

फर्स्ट एड बॉक्स की आवश्यकता

फर्स्ट एड बॉक्स एक ऐसा साधन है जो किसी घायल व्यक्ति को अस्पताल पहुँचने से पहले तात्कालिक राहत पहुँचाने का कार्य करता है। इसके कई लाभ हैं –

  1. तुरंत सहायता – चोट या दुर्घटना के तुरंत बाद यदि घाव को साफ कर दिया जाए या खून बहना रोक दिया जाए, तो रोगी को काफी राहत मिलती है।

  2. जीवन बचाव – समय पर प्राथमिक चिकित्सा मिलने से गंभीर दुर्घटनाओं में भी जीवन बचाया जा सकता है।

  3. संक्रमण की रोकथाम – पट्टियाँ और एंटीसेप्टिक क्रीम संक्रमण को फैलने से रोकती हैं।

  4. आपात स्थिति में राहत – ट्रेन यात्रा या रेलवे स्टेशन पर तुरंत अस्पताल पहुँचना हमेशा संभव नहीं होता। ऐसे में फर्स्ट एड बॉक्स की सामग्री जीवनरक्षक साबित होती है।

First Aid - सांप, मधुमक्खी, पागल कुत्ते का काटना

प्रस्तावना

मानव जीवन असुरक्षित और अप्रत्याशित घटनाओं से भरा हुआ है। चाहे वह खेतों में काम करने वाले किसान हों, जंगल में लकड़ी इकट्ठा करने वाले ग्रामीण हों या शहरों में रहने वाले लोग—दुर्घटनाएँ और आकस्मिक घटनाएँ कभी भी घट सकती हैं। ऐसी परिस्थितियों में फर्स्ट ऐड (प्राथमिक उपचार) सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होती है।

सांप का काटना, मधुमक्खी या ततैया का डंक और पागल कुत्ते का काटना, तीनों ही घटनाएँ सामान्य होते हुए भी मौत का कारण बन सकती हैं। सही समय पर किया गया फर्स्ट ऐड रोगी की जान बचा सकता है, जबकि लापरवाही घातक सिद्ध हो सकती है।

First Aid - विष/जहर से सुरक्षा

फर्स्ट ऐड और विष/जहर से सुरक्षा

प्रकृति ने हमें अनेक प्रकार के पदार्थ, पौधे, औषधियाँ और जीव-जंतु प्रदान किए हैं। इनमें कुछ इतने उपयोगी हैं कि हमारे जीवन को सुरक्षित और सुगम बनाते हैं, वहीं कुछ इतने विषैले हैं कि यदि इन्हें अनियंत्रित रूप से ग्रहण किया जाए, तो ये गंभीर बीमारी या मृत्यु का कारण बन सकते हैं।

विष (Poison) केवल जानवरों या पौधों में ही नहीं होता, बल्कि हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले कई रसायन, दवाइयाँ, कीटाणुनाशक और गैसें भी जहर का रूप ले सकती हैं। अक्सर लोग जहर के प्रति जागरूक नहीं होते और इसका सेवन या संपर्क अनजाने में कर लेते हैं।

जब भी कोई व्यक्ति अकस्मात्, गलती से या जानबूझकर विष का सेवन करता है, तो तत्काल प्राथमिक चिकित्सा (First Aid) अत्यंत आवश्यक हो जाती है। फर्स्ट ऐड की मदद से व्यक्ति के जीवन को सुरक्षित रखा जा सकता है और जहर के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

First Aid - मिर्गी का दौरे

1. मिर्गी का दौरा (Epileptic Seizure)

परिचय:
मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल रोग है, जिसमें मस्तिष्क की असामान्य विद्युत गतिविधि के कारण अचानक दौरे पड़ सकते हैं। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन अधिकतर युवा और किशोर अवस्था में आम है। मिर्गी का दौरा अचानक आता है और रोगी को नियंत्रित करना कठिन होता है।

कारण:

  • मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि में असामान्यता

  • अनियमित नींद और अत्यधिक थकान

  • मानसिक तनाव या भावनात्मक झटका

  • शारीरिक चोट या तेज बुखार

First Aid - सदमा (आघात)

सदमा या आघात शरीर की वह स्थिति है, जिसमें किसी गंभीर चोट, आकस्मिक घटना या मानसिक असंतुलन के कारण शरीर की जीवन-निर्वाह क्रियाएँ मंद पड़ जाती हैं। आघात के दौरान रक्त परिसंचरण की प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिससे अंगों में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है और गंभीर मामलों में यह स्थायी रूप से न्यूनता तक पहुँच सकता है। आघात दो प्रकार का होता है:

  1. नर्व शॉक (Nerve Shock) – यह तब होता है जब शरीर अचानक किसी मानसिक या शारीरिक झटके से प्रतिक्रिया करता है।

  2. स्थापित शॉक (Established Shock) – यह तब होता है जब शरीर पहले से किसी गंभीर चोट या दुर्घटना के कारण लगातार कमजोर हो जाता है।

First Aid - जलना और झुलसना

1. भूमिका

भारत में हर वर्ष हजारों लोग अग्नि दुर्घटनाओं के कारण घायल होते हैं और कई अपनी जान गंवा देते हैं। अधिकांश दुर्घटनाएँ घरों में होती हैं, जो असावधानी और लापरवाही के कारण होती हैं। खासकर छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।

जलने की गंभीरता कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि जलने का स्तर, व्यक्ति की आयु और स्वास्थ्य, और फर्स्ट ऐड की तात्कालिकता। सही समय पर और सही तरीके से फर्स्ट ऐड देना जीवन रक्षक साबित हो सकता है। जलने की घटनाओं से बचने के लिए जागरूकता, सावधानी और तुरंत प्राथमिक उपचार का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है।

2. जलने के कारण

जलने के कारण मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:

2.1 सूखी गर्मी से जलना

सूखी गर्मी के कारण जलना तब होता है जब शरीर आग, तेज गर्म धातु या चलती मशीन के पुर्ज़ों के संपर्क में आता है। इसके कारण त्वचा की ऊपरी परत जल जाती है और गंभीर मामलों में अंगों की क्षति हो सकती है।

First Aid - बिजली का झटका

एक सामान्य परिचय
आज के युग में बिजली हर जगह है — घरों, दफ्तरों, किनारों, कारखानों और सड़कों पर। यह हमारे जीवन को सुविधाजनक बनाती है, पर सावधानी न बरती जाए तो जानलेवा भी हो सकती है। हर साल लापरवाही के कारण कई लोग बिजली के झटके से घायल या मृत्यु के शिकार होते हैं। इसलिए बिजली, उसके प्रकार, प्रभाव और सही प्राथमिक उपचार (First Aid) को समझना अत्यंत आवश्यक है।

1. बिजली के प्रकार और उनकी विशेषताएँ

बिजली सामान्यतः तीन प्रकार की मानी जाती है:

  • A.C. (Alternating Current) — अधिकांश घरेलू सप्लाई में पाया जाता है; रूप बदलता रहता है। भारत में आवृत्ति आमतौर पर 50 Hz (एक सेकण्ड में 50 चक्री) होती है।

  • D.C. (Direct Current) — बैटरी या कुछ विशेष मशीनों में मिलता है; धारा एक ही दिशा में बहती है।

  • Lightning / वज्रपात — बादलों से गिरने वाली तीव्र और अल्पकालिक उच्च वोल्टेज की बिजली।

First Aid - आँख / कान / नाक में किसी बाहरी वास्तु के चले जाने पर

हमारे शरीर के अंग बहुत संवेदनशील होते हैं, और आँख, कान और नाक उनमें से सबसे नाज़ुक अंग हैं। इनमें किसी भी प्रकार की वस्तु के चले जाने पर तुरंत सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। उचित फर्स्ट ऐड न करने पर दर्द, संक्रमण, घाव और गंभीर स्थिति हो सकती है।

1. आँख में किसी वस्तु के चले जाने पर

आँख शरीर का अत्यंत नाज़ुक अंग है। इसमें कोई भी बाहरी वस्तु जैसे पत्थर, कंकर, कोयला, मिट्टी, धूल, कीड़ा, मच्छर, कांच का टुकड़ा या हाथ की अंगुली आदि लग जाए, तो दर्द, जलन, लाली, और आँसू आना सामान्य है।

First Aid - हड्डियों की टूट और जोड़ो की चोट

फर्स्ट ऐड – हड्डियों की चोट और टूट

हड्डियों का शरीर में मुख्य कार्य शरीर को आकार देना, अंगों की मजबूती बनाए रखना और आंतरिक अंगों की सुरक्षा करना है। किसी भी कारण से हड्डी टूट जाए, तो वह व्यक्ति की गतिशीलता और सामान्य जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। इसलिए हड्डियों की चोट और टूट के कारण, प्रकार, लक्षण और फर्स्ट ऐड की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है।

1. हड्डियों के टूटने के कारण

हड्डी टूटने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मुख्य रूप से तीन प्रकार प्रमुख हैं।

1.1 सीधी चोट (Direct Injury)

सीधी चोट वह होती है जहाँ चोट लगने के ठीक उसी स्थान की हड्डी टूट जाती है। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी व्यक्ति की बांह पर लाठी लगे, तो उस स्थान की हड्डी टूट सकती है।

First Aid - घाव और रक्तस्राव पर फर्स्ट ऐड (First Aid for Wounds and Bleeding)

1. घाव और रक्तस्राव क्या है?

जब शरीर पर चोट लगती है, तो कोशिकाएँ टूट जाती हैं और कभी-कभी धमनियाँ और शिराएँ भी कट जाती हैं। इससे रक्तस्राव होता है। अधिक रक्तस्राव होने पर रक्तचाप कम हो जाता है और मस्तिष्क तक रक्त कम मात्रा में पहुँचता है। इसका परिणाम यह होता है कि नाड़ी का कार्य ठीक से नहीं हो पाता और घायल व्यक्ति मूर्छित हो सकता है। साँस बंद होने के अलावा, अधिक रक्तस्राव सबसे खतरनाक स्थिति होती है।

2. घाव के प्रकार (Types of Wounds)

2.1 कटे हुए घाव (Incised Wound)

कटे हुए घाव किसी धारदार वस्तु जैसे ब्लेड या चाकू से होते हैं। इनके किनारे सीधे होते हैं और इनमें धमनियों और शिराओं के कटने की संभावना अधिक होती है।

First Aid - शरीर के महत्वपूर्ण संस्थान

प्राथमिक उपचार (First Aid) और शरीर के पाँच मुख्य संस्थान

मानव शरीर एक जटिल यंत्र की तरह है। इसमें कई संस्थान (Systems) मिलकर काम करते हैं।
यदि अचानक किसी को चोट लगती है, खून बहता है, साँस लेने में तकलीफ होती है या बेहोशी जैसी स्थिति आती है तो प्राथमिक उपचार (First Aid) देने के लिए हमें शरीर के प्रमुख संस्थानों की जानकारी होना ज़रूरी है।

1. अस्थि संस्थान (Skeletal System)

महत्व

हड्डियाँ (Bones) शरीर का ढाँचा (Framework) बनाती हैं। एक वयस्क मानव शरीर में लगभग 206 हड्डियाँ होती हैं।
इनका कार्य –

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First Aid - उदेश्य एवं सिद्धांत (Objectives and Principles)

प्रथम सहायता (First Aid)  एक आपातकालीन प्रक्रिया है, जो दुर्घटना या चोट लगने पर घायल व्यक्ति को तुरंत दी जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्त...