प्राथमिक उपचार देने वाला व्यक्ति सिर्फ मददगार नहीं बल्कि संकट की घड़ी में सबसे महत्वपूर्ण सहारा होता है। इसलिए उसमें कुछ विशेष गुण होना आवश्यक है।
1. विवेकी (Observant)
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वह व्यक्ति हमेशा सचेत, सतर्क और चौकस हो।
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दुर्घटना के लक्षण और रोगी की स्थिति तुरंत पहचान सके।
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जैसे: सांस चल रही है या नहीं, खून बह रहा है या नहीं, चोट कितनी गंभीर है, आदि।
2. व्यवहारकुशल (Tactful)
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रोगी और उसके परिजनों से सही व्यवहार करे।
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संवेदनशील और दयालु हो ताकि रोगी का विश्वास जीत सके।
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घटना की जानकारी विनम्रता से ले और रोगी को मानसिक सहारा दे।
3. युक्तिपूर्ण (Resourceful)
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आसपास उपलब्ध साधनों का सही और बुद्धिमत्तापूर्ण उपयोग करे।
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जैसे: कपड़े से पट्टी बनाना, लकड़ी से सहारा देना, या मोबाइल फोन से मदद बुलाना।
4. निपुण (Dexterous)
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प्राथमिक सहायता देने का वास्तविक ज्ञान हो।
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जैसे खून रोकने का तरीका, हड्डी टूटने पर स्थिर करना, कृत्रिम श्वास देना आदि।
5. स्पष्टवक्ता (Explicit)
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दूसरों को निर्देश देते समय साफ-साफ बोले।
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सहयोगियों को सही कार्य में लगाना और भीड़ को नियंत्रित करना जानता हो।
6. विवेचक (Discriminator)
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चोटों की गंभीरता पहचान सके।
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प्राथमिकता तय करे कि पहले किस चीज़ का उपचार करना है – जैसे अत्यधिक रक्तस्राव, श्वास रुकना आदि।
7. अध्यवसायी (Persevering)
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यदि तुरंत परिणाम न मिले तो भी निराश न हो।
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लगातार धैर्यपूर्वक रोगी की मदद करता रहे।
8. सहानुभूतियुक्त (Sympathetic)
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रोगी से मधुर व्यवहार करे।
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उसे ढाढ़स बंधाए और विश्वास दिलाए कि वह सुरक्षित हाथों में है।
9. साहसी (Courageous)
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घबराहट में अपना धैर्य न खोए।
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आग, दुर्घटना या भीड़ जैसी स्थिति में साहस दिखाए।
10. संयमी (Calm)
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उत्तेजना या गुस्से में न आए।
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यदि लोग बहस करें या उकसाएँ तो भी धैर्य बनाए रखे।
11. व्यावहारिक (Practical)
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परिस्थिति के अनुसार तर्कसंगत निर्णय ले।
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आस-पास की चीज़ों का सही उपयोग करे।
12. संपर्कयुक्त (Prepared with Contacts)
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मोबाइल में डॉक्टर, अस्पताल, एम्बुलेंस और पुलिस के नंबर सेव रखे।
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आपातकाल में तुरंत सही जगह सूचना दे सके।
प्राथमिक उपचार के नियम (Rules of First Aid)
1. शांति बनाए रखें
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सबसे पहले स्वयं शांत रहें।
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घबराहट से रोगी और स्थिति दोनों बिगड़ सकते हैं।
2. आवश्यक कार्य ही करें
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जितनी ज़रूरत हो उतना ही करें।
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अधिक हस्तक्षेप नुकसान पहुँचा सकता है।
3. रोगी को मानसिक सहारा दें
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रोगी को हिम्मत बंधाएँ।
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कठोर या नकारात्मक शब्द न बोलें।
4. भीड़ नियंत्रित करें
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भीड़ से रोगी घबरा सकता है और हवा कम मिल सकती है।
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रोगी के पास ताज़ा हवा का प्रबंध करें।
5. शरीर की गर्मी बनाए रखें
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रोगी के कपड़े न उतारें।
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ठंडी हवा या जमीन पर सीधा न लिटाएँ।
6. रक्तस्राव रोकें
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खून बहने पर तुरंत दबाव डालें, पट्टी बाँधें।
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संक्रमण से बचाव के उपाय करें।
7. श्वास पर ध्यान दें
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यदि श्वास बंद हो जाए तो तुरंत कृत्रिम श्वास (Artificial respiration) दें।
8. सूजन नियंत्रित करें
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चोट वाली जगह को ऊपर उठाएँ या ठंडे पानी/बर्फ से सेक करें।
9. हड्डी की जाँच करें
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रोगी को उठाने से पहले देखें कि हड्डी टूटी है या नहीं।
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टूटे हिस्से को स्थिर रखें।
10. शीघ्र अस्पताल पहुँचाएँ
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रोगी को जल्द से जल्द अस्पताल ले जाएँ।
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डॉक्टर को बुलाना भी विकल्प हो सकता है।
11. जीवन के लक्षण न मिलने पर भी मृत न मानें
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कभी भी स्वयं यह निर्णय न लें कि रोगी मर गया है।
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उसे अस्पताल अवश्य पहुँचाएँ।
12. खतरनाक वस्तुएँ हटाएँ
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बिजली का तार, आग, नुकीली वस्तुएँ आदि तुरंत हटाएँ।
13. सुरक्षित स्थान पर ले जाएँ
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रोगी को धीरे और सावधानी से सुरक्षित जगह पर रखें।
14. खुद को डॉक्टर न समझें
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बिना डॉक्टर की अनुमति के इलाज करने की कोशिश न करें।
15. पुलिस को सूचना दें
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गंभीर दुर्घटना में पुलिस को सूचना देना ज़रूरी है।
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पुलिस की पूछताछ से घबराएँ नहीं।
16. डॉक्टर के लिए विवरण लिखें
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यदि आप रोगी के साथ न जा सकें तो पूरी जानकारी लिखकर भेजें।
17. शराब या ब्रांडी न दें
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यह खतरनाक हो सकता है, स्थिति और बिगाड़ सकता है।
18. अंधेरे में प्रकाश का प्रबंध करें
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टॉर्च या अन्य साधन से पर्याप्त रोशनी रखें।
19. उत्साहवर्धक बातें करें
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रोगी से सकारात्मक बातें करें।
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उसके भय और घबराहट को दूर करें।
20. रोगी को हिलने-डुलने से रोकें
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कहें कि वह स्थिर लेटा रहे।
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विश्वास दिलाएँ कि वह प्रशिक्षित हाथों में है।
इस तरह, प्राथमिक उपचार करने वाले व्यक्ति को ज्ञान, धैर्य, साहस और सही व्यवहार का मिश्रण होना चाहिए।
याद रखें: प्राथमिक उपचार का उद्देश्य रोगी को सुरक्षित अवस्था में अस्पताल तक पहुँचाना है, न कि स्वयं पूरा इलाज करना।
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