First Aid - जलना और झुलसना

1. भूमिका

भारत में हर वर्ष हजारों लोग अग्नि दुर्घटनाओं के कारण घायल होते हैं और कई अपनी जान गंवा देते हैं। अधिकांश दुर्घटनाएँ घरों में होती हैं, जो असावधानी और लापरवाही के कारण होती हैं। खासकर छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।

जलने की गंभीरता कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि जलने का स्तर, व्यक्ति की आयु और स्वास्थ्य, और फर्स्ट ऐड की तात्कालिकता। सही समय पर और सही तरीके से फर्स्ट ऐड देना जीवन रक्षक साबित हो सकता है। जलने की घटनाओं से बचने के लिए जागरूकता, सावधानी और तुरंत प्राथमिक उपचार का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है।

2. जलने के कारण

जलने के कारण मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं:

2.1 सूखी गर्मी से जलना

सूखी गर्मी के कारण जलना तब होता है जब शरीर आग, तेज गर्म धातु या चलती मशीन के पुर्ज़ों के संपर्क में आता है। इसके कारण त्वचा की ऊपरी परत जल जाती है और गंभीर मामलों में अंगों की क्षति हो सकती है।

उदाहरण:

  • खुली आग या चूल्हा

  • गरम लोहे या प्लेट को छूना

  • मशीनों के तेज चलने वाले पुर्ज़े या बिजली के तार

2.2 गीली गर्मी से जलना

गीली गर्मी से जलना तब होता है जब उबलते या गर्म तरल पदार्थ जैसे पानी, तेल, घी, दूध या स्टीम सीधे शरीर से संपर्क करते हैं। यह आम घरेलू दुर्घटना है और खासकर रसोई में होती है।

उदाहरण:

  • उबलता दूध या पानी

  • गरम तेल या घी

  • चाय, कॉफी या स्टीम का छू जाना

2.3 अम्ल और क्षार पदार्थों से जलना

कुछ रासायनिक पदार्थ जैसे अम्ल और क्षार भी त्वचा पर संपर्क में आने पर जलन पैदा करते हैं। ये जलन अक्सर बहुत तीव्र होती है और त्वचा को तुरंत नुकसान पहुंचा सकती है।

उदाहरण:

  • गंधक, तेज़ाब

  • कास्टिक सोडा, चूना

  • घरेलू रसायन और सफाई के उत्पाद

3. जले हुए स्थान के लक्षण

जलने के बाद शरीर में कुछ लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। इन लक्षणों की पहचान करना और तुरंत उचित उपचार करना आवश्यक है।

  1. दर्द: जले हुए स्थान पर तीव्र दर्द होना।

  2. लालिमा और सूजन: त्वचा लाल हो जाती है और संवेदनशील हो जाती है।

  3. फफोले: जलने के तुरंत बाद छोटे-छोटे फफोले दिखाई दे सकते हैं।

  4. त्वचा का गलना या फटना: गंभीर जलन में त्वचा गल सकती है।

  5. सदमा और संक्रमण का खतरा: जले हुए अंग पर संक्रमण और अन्य जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है।

जलने की गंभीरता को पहचानने के लिए यह समझना जरूरी है कि जलन कितनी गहरी और व्यापक है। हल्की जलन में केवल त्वचा लाल और संवेदनशील होती है, जबकि गंभीर जलन में फफोले, त्वचा का गलना और अंग की गंभीर क्षति हो सकती है।

4. फर्स्ट ऐड में क्या नहीं करना चाहिए

अक्सर लोग जले हुए हिस्से पर घरेलू उपचार कर देते हैं, जैसे खोपरे का तेल, दही, लस्सी या हल्दी। यह गलत है क्योंकि इससे संक्रमण (सेप्टिक) होने का खतरा बढ़ जाता है।

गलत क्रियाएँ:

  • जले हुए हिस्से को गंदे हाथों से छूना

  • फफोलों को फोड़ना या कटाई करना

  • अस्वच्छ या घरेलू सामग्री लगाना

गलत उपचार से जलन और गंभीर हो सकती है और रोगी के जीवन को खतरा हो सकता है।

5. फर्स्ट ऐड: सही उपाय

जलने पर तुरंत उचित प्राथमिक उपचार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही फर्स्ट ऐड से दर्द कम होता है, संक्रमण का खतरा घटता है और शरीर जल्दी ठीक होता है।

5.1 हाथों की सफाई

फर्स्ट ऐड शुरू करने से पहले अपने हाथ अच्छे से धोएँ या सैनिटाइज़र का प्रयोग करें। इससे घाव में संक्रमण का खतरा कम होता है।

5.2 जले हुए कपड़े

  • जले हुए कपड़े तुरंत न हटाएँ।

  • केवल आवश्यक कपड़े ही हटाएँ।

  • फफोलों या छालों को न फोड़ें।

5.3 अंग का संरक्षण

  • रोगी के अनावश्यक कपड़े न उतारें।

  • जले हुए अंग को हल्का ऊँचा रखें।

  • रोगी को कम्बल या चद्दर से ढकें।

5.4 अंग पर से चीज़ें हटाना

जैसे अंगूठी, चूड़ियाँ, जूते आदि तुरंत हटाएँ ताकि अंग में सूजन बढ़ने पर चोट न हो।

5.5 फफोलों का प्रबंधन

यदि फफोले फूट गए हैं और कपड़ा चिपक गया है, तो उसे खींचें नहीं। आस-पास के कपड़े काट सकते हैं।

5.6 मरहम और पट्टी

जले हुए स्थान पर उपयुक्त जले हुए घाव की मरहम लगाएँ। अधिक जले हुए अंग पर पट्टी या गद्दी बांध सकते हैं।

5.7 तरल पदार्थ

रोगी होश में हो तो पर्याप्त तरल पदार्थ पिलाएँ, जैसे दूध, पानी या हल्की चाय। यह शरीर को हाइड्रेटेड रखता है और रिकवरी में मदद करता है।

5.8 रासायनिक जलन

अम्ल या क्षार से जलने वाले स्थान पर कपड़े सावधानीपूर्वक हटाएँ और प्रभावित क्षेत्र को नल के पानी से अच्छी तरह धोएँ।

5.9 चिकित्सकीय सहायता

  • जले हुए व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाएँ या डॉक्टर को बुलाएँ।

  • गंभीर जलन (तीसरे डिग्री) या चेहरे, हाथ, पैरों पर जलन होने पर तुरंत पेशेवर मदद लें।

6. अतिरिक्त सावधानियाँ

जलने की घटनाओं से बचने के लिए कुछ सावधानियाँ हमेशा याद रखनी चाहिए:

  1. आग से दूर रहें और बचाव सामग्री हमेशा पास रखें।

  2. बच्चों को रसोई या आग के पास अकेले न छोड़ें।

  3. घरेलू रसायनों को बच्चों की पहुँच से दूर रखें।

  4. जले हुए अंग पर सीधे बर्फ या बहुत ठंडा पानी न लगाएँ; हल्का ठंडा पानी ही पर्याप्त है।

7. निष्कर्ष

जलने और झुलसने की घटनाएँ गंभीर हो सकती हैं, लेकिन सावधानी, जागरूकता और सही फर्स्ट ऐड से इन्हें काफी हद तक रोका जा सकता है। समय पर प्राथमिक उपचार और चिकित्सकीय सहायता जीवन बचाने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

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