First Aid - हड्डियों की टूट और जोड़ो की चोट

फर्स्ट ऐड – हड्डियों की चोट और टूट

हड्डियों का शरीर में मुख्य कार्य शरीर को आकार देना, अंगों की मजबूती बनाए रखना और आंतरिक अंगों की सुरक्षा करना है। किसी भी कारण से हड्डी टूट जाए, तो वह व्यक्ति की गतिशीलता और सामान्य जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। इसलिए हड्डियों की चोट और टूट के कारण, प्रकार, लक्षण और फर्स्ट ऐड की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है।

1. हड्डियों के टूटने के कारण

हड्डी टूटने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मुख्य रूप से तीन प्रकार प्रमुख हैं।

1.1 सीधी चोट (Direct Injury)

सीधी चोट वह होती है जहाँ चोट लगने के ठीक उसी स्थान की हड्डी टूट जाती है। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी व्यक्ति की बांह पर लाठी लगे, तो उस स्थान की हड्डी टूट सकती है।

1.2 कुटिल चोट (Indirect/Contrecoup Injury)

कुटिल चोट में चोट किसी स्थान पर लगती है, लेकिन हड्डी कहीं और टूट जाती है। यह चोट अक्सर गिरने या जोर के प्रभाव से होती है। उदाहरण के लिए, हथेली के बल गिरने से कलाई की हड्डी टूटना या किसी ऊँचाई से गिरने पर रीढ़ या खोपड़ी की हड्डी का टूट जाना।

1.3 मांसपेशियों का अत्यधिक तनाव (Muscle Strain)

हड्डियां अत्यधिक मांसपेशियों के खिंचाव या मरोड़ के कारण भी टूट सकती हैं। खेल, दौड़ या अचानक झटका आने पर यह चोटें होती हैं। उदाहरण के लिए, घुटने की पटेला का टूटना या कलाई एवं कुहनी की हड्डियों का मुड़ना।

2. हड्डियों के टूटने के प्रकार

हड्डियों के टूटने की प्रकृति के अनुसार उन्हें विभिन्न प्रकार में बांटा गया है।

2.1 साधारण या बंद टूट (Simple/Closed Fracture)

इस प्रकार की टूट में हड्डी टूट जाती है, लेकिन त्वचा नहीं फटती और कोई अन्य अंग घायल नहीं होता। हड्डी केवल अपने स्थान पर दो या अधिक टुकड़ों में विभक्त हो जाती है।

2.2 खुली या विशेष टूट (Compound/Open Fracture)

इसमें हड्डी का सिरा त्वचा को फाड़कर बाहर निकल आता है। इसे गंभीर चोट माना जाता है, क्योंकि संक्रमण का खतरा अधिक होता है।

2.3 उलझी हुई टूट (Complicated Fracture)

जब हड्डी टूट कर किसी महत्वपूर्ण अंग जैसे मस्तिष्क, फेफड़े, जिगर या तिल्ली में घुस जाती है, तो इसे उलझी हुई टूट कहा जाता है।

2.4 बहुखंडी टूट (Comminuted Fracture)

इसमें हड्डी कई टुकड़ों में टूट जाती है।

2.5 पच्वड़ी टूट (Impacted Fracture)

इस प्रकार की टूट में हड्डी का एक सिरा दूसरे सिरे में घुस जाता है।

2.6 दबी टूट (Depressed Fracture)

इसमें हड्डी नीचे की ओर धंस जाती है। उदाहरण: खोपड़ी की हड्डी का टूटना।

2.7 कच्ची टूट (Greenstick Fracture)

कच्ची टूट केवल मुड़ने या चटकने जैसी होती है और आमतौर पर बच्चों में पाई जाती है, क्योंकि उनकी हड्डियां मुलायम और लचीली होती हैं।

3. हड्डियों के टूटने के लक्षण

हड्डी टूटने पर कई प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं, जो चोट की गंभीरता का संकेत देते हैं।

  1. सूजन (Swelling): चोट वाले स्थान पर सूजन और लालिमा आना सामान्य है।

  2. दर्द (Pain): चोट वाली जगह को छूने या दबाने पर तीव्र दर्द होता है।

  3. आकृति में बदलाव (Deformity): टूटे अंग की आकृति सामान्य नहीं रहती, कभी-कभी अंग टेढ़ा या उभरा हुआ दिखाई देता है।

  4. लंबाई में कमी (Shortening): मांसपेशियों के खिंचाव के कारण अंग की लंबाई घट सकती है। हालांकि हाथ की रेडियम और अलना या पैर की टिबिया और फीबुला में केवल एक हड्डी टूटने पर लंबाई में फर्क नहीं आता।

  5. शक्तिहीनता (Loss of Function): जिस अंग की हड्डी टूटी होती है, वह सामान्य गतिविधि नहीं कर सकता।

  6. अस्थियों की विषमता (Bone Irregularity): अंग के टटोलने पर हड्डियों का असमान होना महसूस होता है।

  7. अस्वाभिक गति (Abnormal Mobility): अंग केवल जोड़ों पर ही हिलना चाहिए, लेकिन हड्डी टूटने पर टूटे स्थान पर भी हिलने लगता है।

  8. किकिरहट (Crepitus): हड्डियों के आपस में रगड़ने पर सरसराने या खड़खड़ाने जैसी आवाज आती है।

सावधानी:
पहले छह लक्षण दिखाई दें, तो हड्डी टूटने की पुष्टि की जा सकती है। अंतिम दो लक्षणों को खुद जांचने की कोशिश न करें, क्योंकि इससे चोट गंभीर हो सकती है।

4. हड्डी टूटने पर सामान्य फर्स्ट ऐड

हड्डी टूटने पर उचित फर्स्ट ऐड से गंभीर चोट और संक्रमण से बचा जा सकता है।

4.1 रक्तस्त्राव रोकना

यदि चोट से रक्तस्राव हो रहा हो, तो तुरंत रक्त रोकें, लेकिन हड्डी को हिलाएं नहीं।

4.2 घायल को सुरक्षित स्थान पर रखना

यदि घायल को तुरंत घटना स्थल से हटाना पड़े, तो हड्डी को अस्थायी रूप से पट्टियों या किसी मजबूत साधन से स्थिर करें। अंग को अत्यंत सावधानीपूर्वक उठाएं।

4.3 हड्डी को स्थिर करना (Splinting)

टूटी हड्डी को पट्टियों या किसी कठोर सामग्री से बांधकर स्थिर करें, ताकि हड्डी हिल-डुल न सके। इससे हड्डी और मांसपेशियों को अतिरिक्त चोट से बचाया जा सकता है।

4.4 आघात से सुरक्षा (Protection from Shock)

यदि चोट गंभीर हो, तो घायल को शांति दें और अन्य चोटों से सुरक्षा करें।

4.5 भोजन और पानी

यदि गंभीर हड्डियों की चोट (जैसे रीढ़ या जांघ) है और बेहोश करना आवश्यक हो सकता है, तो खाने-पीने को न दें। हल्का पानी जिसमें एक चुटकी नमक या हल्का मीठा सोडा मिला हो, या हल्की चाय दी जा सकती है।


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