First Aid - मिर्गी का दौरे

1. मिर्गी का दौरा (Epileptic Seizure)

परिचय:
मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल रोग है, जिसमें मस्तिष्क की असामान्य विद्युत गतिविधि के कारण अचानक दौरे पड़ सकते हैं। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन अधिकतर युवा और किशोर अवस्था में आम है। मिर्गी का दौरा अचानक आता है और रोगी को नियंत्रित करना कठिन होता है।

कारण:

  • मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि में असामान्यता

  • अनियमित नींद और अत्यधिक थकान

  • मानसिक तनाव या भावनात्मक झटका

  • शारीरिक चोट या तेज बुखार

लक्षण:

  1. रोगी अचानक खड़ा-खड़ा बेहोश होकर गिर सकता है।

  2. शरीर कुछ समय के लिए अकड़ जाता है।

  3. हाथ-पैर असामान्य ढंग से हिल सकते हैं।

  4. मुँह से झाग निकल सकता है।

  5. दांत काटने या जीभ घायल होने का खतरा।

  6. कभी-कभी रोगी की साँस लेने की गति असामान्य हो सकती है।

फर्स्ट ऐड:

  1. रोगी को किसी खतरनाक स्थान (पानी, आग, चलती मशीन) से दूर रखें।

  2. उसके आस-पास की वस्तुएं हटाएँ ताकि चोट न लगे।

  3. रोगी को जकड़ कर न रोकें; उसे सुरक्षित रूप से जमीन पर लेटाएँ।

  4. मुँह के पास किसी कठोर वस्तु को रखकर जबड़े को खोलने की कोशिश करें ताकि जीभ न कटी।

  5. मुँह से झाग पोंछें और कपड़े ढीले करें।

  6. रोगी को अकेला न छोड़ें; किसी जिम्मेदार व्यक्ति को सूचना दें।

  7. दौरे के बाद रोगी धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौटेगा।

2. हिस्टीरिया के दौरे (Hysterical Fits)

परिचय:
हिस्टीरिया के दौरे मानसिक या भावनात्मक तनाव के कारण होते हैं। यह अधिकतर युवा लड़कियों और महिलाओं में देखा जाता है। यह मस्तिष्क और हृदय में असंतुलन या अत्यधिक मानसिक दबाव के कारण होता है। यह किसी भूत, प्रेत या चुड़ैल से संबंधित नहीं है।

कारण:

  • मानसिक तनाव और चिंता

  • शारीरिक दुर्बलता या थकान

  • अचानक डर या मानसिक आघात

  • अत्यधिक गर्मी या शरीर में पानी की कमी

लक्षण:

  1. रोगी पूरी तरह बेहोश नहीं होता; वह दौरे का अनुभव महसूस कर सकता है।

  2. शरीर अकड़ सकता है और हाथ की मुठ्ठियाँ बंद हो सकती हैं।

  3. दांत भिच सकते हैं।

  4. जोर-जोर से रोना और आँखें जल्दी-जल्दी बंद या खोलना।

  5. घबराहट या डर के कारण सांस की गति असामान्य हो सकती है।

फर्स्ट ऐड:

  1. रोगी को सुरक्षित और शांत स्थान पर बैठाएँ।

  2. मानसिक तनाव कम करने के लिए शांत और भरोसेमंद माहौल बनाएं।

  3. रोगी को जोर से न पकड़ें; उसे आराम से बैठने दें।

  4. डॉक्टर को दिखाना आवश्यक है, खासकर यदि दौरे बार-बार आते हैं।

3. मूर्छा, बेहोशी और अचेतना (Fainting / Unconsciousness)

परिचय:
मूर्छा तब होती है जब मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम हो जाता है या रुक जाता है। यह आमतौर पर थकान, अधिक गर्मी, गंभीर चोट, भय, भूख या शारीरिक दुर्बलता के कारण होता है। मूर्छित व्यक्ति सोता हुआ प्रतीत हो सकता है, लेकिन उसे सावधानीपूर्वक जागाया जा सकता है।

कारण:

  1. अत्यधिक गर्मी और धूप

  2. दम घुटना या हवादार न होना

  3. मिर्गी के दौरे

  4. विषैले पदार्थ या नशा

  5. गंभीर चोट या धक्का

  6. अत्यधिक ठंड या शारीरिक सदमा

  7. हृदय गति की गड़बड़ी

  8. बिजली का झटका

लक्षण:

  1. चेहरा पीला पड़ जाता है और दिल की धड़कन धीमी हो जाती है।

  2. माथे और शरीर पर ठंडे पसीने।

  3. दृष्टि धुंधली और धुंधलापन।

  4. चक्कर आना और अचानक गिरना।

  5. रोगी के हाथ-पैर कभी-कभी अकड़ सकते हैं।

प्रकार:

  • अपूर्ण मूर्छा: रोगी को सहजता से जगाया जा सकता है।

  • पूर्ण (घोर) मूर्छा: रोगी को जगाना कठिन होता है और यह अधिक गंभीर स्थिति है।

फर्स्ट ऐड:

  1. रोगी को ताजगी और हवादार स्थान में रखें।

  2. हानिकारक गैसों या धुएँ से दूर रखें।

  3. यदि रक्त बह रहा हो, तुरंत रक्त को रोकें।

  4. सांस बंद होने पर कृत्रिम श्वास दें और नमक सुंघाएँ।

  5. रोगी को सिर एक ओर करके लेटाएँ ताकि साँस का मार्ग खुला रहे।

  6. चेहरा पीला हो तो पैरों को हल्का ऊँचा करें।

  7. चेहरा लाल हो तो सिर और कंधे ऊँचे रखें।

  8. भीड़ को दूर करें और रोगी को शांत करें।

  9. उसे सुरक्षित स्थान पर ले जाएँ।

  10. अचेत रोगी को खाना-पीना न दें।

  11. कपड़े ढीले करें और जूते खोल दें।

  12. मूर्छा के कारण का तुरंत पता लगाएँ और उसका इलाज करें।

  13. केवल जिम्मेदार व्यक्ति को सौंपें।

  14. हल्का पानी या आवश्यकतानुसार चीनी वाला पेय दें।

  15. मुँह पर ठंडे पानी की छींटे या गीला तौलिया रखें।

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