First Aid - मिर्गी का दौरे




यह रोग हर आयु के व्यक्ति को हो सकती है किन्तु युवा अवस्था में आम होती है 

 लक्षण -

1. रोगी खड़ा - खड़ा बेहोश और चक्कर खाकर पृथ्वी पर गिर पड़ता है और शरीर कुछ देर के लिए अकड जाता है
2. रोगी हाथ - पैरो को इधर - उधर फेकता है
3. मुँह से झाग आ जाता है
4. रोगी के दांत भिच जाते है और जीभ काटने लगता है

 फर्स्ट ऐड -


1.रोगी को संकट वाली जगह जैसे पानी,आग,चलती मशीनों इत्यादि सर दूर रखे।
2. उसके आस - पास की वस्तुए हटा दे ताकि वह चोट न खाये उसको जकड़ कर मत रखो
3. मुँह से झाग आदि पोंछ दो रोगी के कपड़ो को ढीला कर दो
4. उसके जबड़े को किसी सख्त पदार्थ जैसे चम्मच आदि से खोल दे ताकि जीभ न काट ले
5.बेहोशी के साधारण नियमो का पालन करे जूता आदि नही सुंघाना चाहिए
6. जब तक आपको विश्वास न हो जाए या उसको किसी जिम्मेदार व्यक्ति के हवाले न कर दे उसको अकेला न छोड़े क्योकि यह दुबारा भी हो सकता है

हिस्टीरिया के दौरे

ये दौरे अधिकतर लडकियों या युवा स्त्रियों को आते है जो कोई अधिक क्लेश या गर्मी में हो, दुर्बल या रोग से उठी हो या घबराई हुई हो यह एक मानसिक तनाव है यह रोग मस्तिष्क और हृदय में विकार से उत्पन्न होता है यह कोई भूत, प्रेत, चुड़ैल का प्रकोप नही होता

 लक्षण

1.रोगी को पूरी बेहोशी नही आती उसको दौरा पड़ने का आभास हो जाता है और वह किसी सुरक्षित स्थान पर बैठ जाता  है
2. कभी - कभी शरीर अकड़ना शुरू हो जाता है हाथो की मुठ्ठियाँ बंद हो जाती है
3.कई बार रोगी के दांत  भिच जाते है
4.कई बार रोगी जोर - जोर से रोने लगता है आँखों को जल्दी - जल्दी बंद करता अथवा खोलता है 
5. रोगी के मानसिक कष्टों का निवारण
6. डॉक्टर को दिखा दे

मूर्छा, बेहोशी,या अचेतना

जब रोगी के मस्तिष्क में रक्त संचार की कमी हो जाए या रक्त प्रवाह बंद हो जाए तो उस समय जो तात्कालिक परिणाम होते है उसे मूर्छा या बेहोशी कहते है सदा यह पक्के तौर पर नही कहा जा सकता की मष्तिष्क में खून के प्रवाह में क्यों कमी हो गई है, पर साधारणतया अधिक थकावट, उत्तेजना, चोट, एकदम बुरी खबर का मिलना,ज्यादा दिन तक भोजन न मिलने,अधिक भय आदि कारणों से रोगी को मूर्छा या बेहोशी आ जाती है

 लक्षण
1.चेहरा पीला पद जाता है दिल की धडकन की रफ्तार कम हो जाती है
2.माथे और दूसरे हिस्सों पर ठण्ड पसीने आते है
3.आँखों को हर वस्तु धुंधली दिखाई पड़ती है
4. बादल उड़ते हुए प्रतीत होते है।
5.रोगी को चक्कर आते ही वह मूर्छित होकर कभी भी पृथ्वी पर गिर सकता है
एक मूर्छित व्यक्ति सोता हुआ प्रतीत होता है परन्तु सोना मूर्छा की एक प्राकृतिक दशा है जिससे मनुष्य को आसानी से जगाया जा सकता है परन्तु घोर मूर्छापन में उसको आसानी से जगाया नही जा सकता मूर्छा दो प्रकार की होती है -
1. अपूर्ण मूर्छा 
2. पूर्ण (घोर) मूर्छा 

मूर्छा के कारण 
1. अधिक गर्मी के प्रभाव से 
2. दम घुटने से 
3. मिर्गी की अवस्था में 
4. अधिक विष से 
5. भारी चोट लगने से 
6. अधिक ठण्ड लगने से 
7. सदमे के  कारण 
8. नशे वाली वस्तु के सेवन 
9. हृदय गति की गड़बड़ी की हालत से ।
10. सिर पर चोट लगने से 
11. बिजली का झटका लगने के कारण 

मूर्छापन की गंभीरता का पता लगाया जा सकता है - 

1. घायल से बात करके 
2. अपूर्ण मूर्छापन में घायल को कष्ट से जगाया जा सकता है 
3. अपूर्ण मूर्छापन में घायल आँख को छूने से अवरोध करता है यदि उसके पलक को पीछे हटा दिया जाए तो रोकता है 
4. आँख की पुतली पर जब प्रकाश डाला जाए तो उसकी प्रतिक्रिया को देखकर 

मूर्छित व्यक्ति के फर्स्टऐड के सामान्य नियम 

1.रोगी को ताज़ी हवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होनी चाहिए श्वास मार्गो में कोई बाधा न हो कमरा हवादार होना चाहिए 
2. हानिकारक गैसों तथा विषैले वातावरण से हटा लीजिए 
3. यदि रक्त बहता है तो तुरंत बंद करे 
4. यदि साँस बंद हो गया हो तो बनावटी श्वास विधि अपनाये और सूंघने वाला नमक सुंघावे।
5. रोगी को इस प्रकार लिटाये की उसका सिर एक ओर रहे 
6.यदि चेहरा पीला पड गया हो तो पैरो की ओर से कुछ ऊँचा कर दे पलंग के पैये (पायो) के नीचे दो - दो ईट  लगा दो  
7.यदि चेहरा लाल पड़ गया हो तो सिर और कंधो को ऊँचा करके  रखे अथवा मोटे तकिये लगा दे 
8. भीड़ को दूर हटा दीजिए
9. रोगी को निकट के सुरक्षित स्थान पर ले जाओ 
10. जब तक रोगी अचेत रहे उसे कोई चीज खाने पीने को न दे 
11. रोगी की छाती, गले और कमर के कपडे ढीले कर दे और जूते खोल दे 
12. जिस कारण से बेहोशी हुई हो उसका खास तौर से इलाज करे 
13. जब तक अत्यंत आवश्यक न हो, रोगी को किसी जिम्मेदार मनुष्य के हवाले ही छोडकर जाए 
14. यदि खा - पी सके तो थोडा  ठंडा पानी की दीजिए यदि नब्ज निर्बल चल रही हो तो चाय,काफी आदि अधिक चीनी मिला कर दे स्प्रिट - अमोनिया - एरोमेटिक पानी में 20 -25 बूंदे डालकर देते रहे 
15. मुँह पर ठण्डे  पानी के छीटे या गीले तौलिया रख सकते है 





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